Original

न सीतायाः परां भार्यां वव्रे स रघुनन्दनः ।यज्ञे यज्ञे च पत्न्यर्थं जानकी काञ्चनी भवत् ॥ ४ ॥

Segmented

न सीतायाः पराम् भार्याम् वव्रे स रघुनन्दनः यज्ञे यज्ञे च पत्नी-अर्थम् जानकी काञ्चनी भवत्

Analysis

Word Lemma Parse
pos=i
सीतायाः सीता pos=n,g=f,c=6,n=s
पराम् पर pos=n,g=f,c=2,n=s
भार्याम् भार्या pos=n,g=f,c=2,n=s
वव्रे वृ pos=v,p=3,n=s,l=lit
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
रघुनन्दनः रघुनन्दन pos=n,g=m,c=1,n=s
यज्ञे यज्ञ pos=n,g=m,c=7,n=s
यज्ञे यज्ञ pos=n,g=m,c=7,n=s
pos=i
पत्नी पत्नी pos=n,comp=y
अर्थम् अर्थ pos=n,g=m,c=2,n=s
जानकी जानकी pos=n,g=f,c=1,n=s
काञ्चनी काञ्चन pos=a,g=f,c=1,n=s
भवत् भू pos=v,p=3,n=s,l=lan