Original

जाह्नवीतीरमासाद्य चिराभिलषितं मम ।हर्षकाले किमर्थं मां विषादयसि लक्ष्मण ॥ २३ ॥

Segmented

जाह्नवी-तीरम् आसाद्य चिर-अभिलषितम् मम हर्ष-काले किम् अर्थम् माम् विषादयसि लक्ष्मण

Analysis

Word Lemma Parse
जाह्नवी जाह्नवी pos=n,comp=y
तीरम् तीर pos=n,g=n,c=2,n=s
आसाद्य आसादय् pos=vi
चिर चिर pos=a,comp=y
अभिलषितम् अभिलष् pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part
मम मद् pos=n,g=,c=6,n=s
हर्ष हर्ष pos=n,comp=y
काले काल pos=n,g=m,c=7,n=s
किम् pos=n,g=n,c=2,n=s
अर्थम् अर्थ pos=n,g=m,c=2,n=s
माम् मद् pos=n,g=,c=2,n=s
विषादयसि विषादय् pos=v,p=2,n=s,l=lat
लक्ष्मण लक्ष्मण pos=n,g=m,c=8,n=s