रामायणम् — 7.4.31
Original
Segmented
ततः सु केशः वर-दान-गर्वितः श्रियम् प्रभोः प्राप्य हरस्य पार्श्वतः चचार सर्वत्र महामतिः खगः ख-गम् पुरम् प्राप्य पुरंदरो यथा
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
ततः | ततस् | pos=i |
सु | सु | pos=i |
केशः | केश | pos=n,g=m,c=1,n=s |
वर | वर | pos=n,comp=y |
दान | दान | pos=n,comp=y |
गर्वितः | गर्वित | pos=a,g=m,c=1,n=s |
श्रियम् | श्री | pos=n,g=f,c=2,n=s |
प्रभोः | प्रभु | pos=n,g=m,c=6,n=s |
प्राप्य | प्राप् | pos=vi |
हरस्य | हर | pos=n,g=m,c=6,n=s |
पार्श्वतः | पार्श्वतस् | pos=i |
चचार | चर् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
सर्वत्र | सर्वत्र | pos=i |
महामतिः | महामति | pos=a,g=m,c=1,n=s |
खगः | खग | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ख | ख | pos=n,comp=y |
गम् | ग | pos=a,g=n,c=2,n=s |
पुरम् | पुर | pos=n,g=n,c=2,n=s |
प्राप्य | प्राप् | pos=vi |
पुरंदरो | पुरंदर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
यथा | यथा | pos=i |