रामायणम् — 7.37.14
Original
Segmented
प्रशंसा-अर्हाः हि जानन्ति प्रशंसाम् वक्तुम् ईदृशीम् आपृच्छामो गमिष्यामो हृदिस्थो नः सदा भवान्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्रशंसा | प्रशंसा | pos=n,comp=y |
अर्हाः | अर्ह | pos=a,g=m,c=1,n=p |
हि | हि | pos=i |
जानन्ति | ज्ञा | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
प्रशंसाम् | प्रशंसा | pos=n,g=f,c=2,n=s |
वक्तुम् | वच् | pos=vi |
ईदृशीम् | ईदृश | pos=a,g=f,c=2,n=s |
आपृच्छामो | आप्रच्छ् | pos=v,p=1,n=p,l=lat |
गमिष्यामो | गम् | pos=v,p=1,n=p,l=lrt |
हृदिस्थो | हृदिस्थ | pos=a,g=m,c=1,n=s |
नः | मद् | pos=n,g=,c=6,n=p |
सदा | सदा | pos=i |
भवान् | भवत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |