रामायणम् — 7.26.21
Original
Segmented
अन्येभ्यो ऽपि त्वया रक्ष्या प्राप्नुयाम् धर्षणम् यदि धर्मतः च स्नुषा ते ऽहम् तत्त्वम् एतद् ब्रवीमि ते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अन्येभ्यो | अन्य | pos=n,g=m,c=5,n=p |
ऽपि | अपि | pos=i |
त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
रक्ष्या | रक्ष् | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=krtya |
प्राप्नुयाम् | प्राप् | pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin |
धर्षणम् | धर्षण | pos=n,g=n,c=2,n=s |
यदि | यदि | pos=i |
धर्मतः | धर्म | pos=n,g=m,c=5,n=s |
च | च | pos=i |
स्नुषा | स्नुषा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
ऽहम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
तत्त्वम् | तत्त्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
एतद् | एतद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
ब्रवीमि | ब्रू | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
ते | त्वद् | pos=n,g=,c=4,n=s |