रामायणम् — 7.13.31
Original
Segmented
एवम् तेन सखि-त्वम् च प्राप्य अनुज्ञाम् च शंकरात् आगम्य च श्रुतो ऽयम् मे तव पाप-विनिश्चयः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
एवम् | एवम् | pos=i |
तेन | तद् | pos=n,g=m,c=3,n=s |
सखि | सखी | pos=n,comp=y |
त्वम् | त्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
प्राप्य | प्राप् | pos=vi |
अनुज्ञाम् | अनुज्ञा | pos=n,g=f,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
शंकरात् | शंकर | pos=n,g=m,c=5,n=s |
आगम्य | आगम् | pos=vi |
च | च | pos=i |
श्रुतो | श्रु | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
ऽयम् | इदम् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
मे | मद् | pos=n,g=,c=4,n=s |
तव | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
पाप | पाप | pos=a,comp=y |
विनिश्चयः | विनिश्चय | pos=n,g=m,c=1,n=s |