रामायणम् — 7.10.32
Original
Segmented
न तावत् कुम्भकर्णाय प्रदातव्यो वरः त्वया जानीषे हि यथा लोकान् त्रासयति एष दुर्मतिः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
न | न | pos=i |
तावत् | तावत् | pos=i |
कुम्भकर्णाय | कुम्भकर्ण | pos=n,g=m,c=4,n=s |
प्रदातव्यो | प्रदा | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=krtya |
वरः | वर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
जानीषे | ज्ञा | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
हि | हि | pos=i |
यथा | यथा | pos=i |
लोकान् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=p |
त्रासयति | त्रासय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
एष | एतद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
दुर्मतिः | दुर्मति | pos=a,g=m,c=1,n=s |