रामायणम् — 6.92.14
Original
Segmented
भिन्न-मर्याद निर्लज्ज चारित्रेषु अनवस्थितैः दर्पतः मृत्युम् उपादाय शूरो ऽहम् इति मन्यसे
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
भिन्न | भिद् | pos=va,comp=y,f=part |
मर्याद | मर्यादा | pos=n,g=m,c=8,n=s |
निर्लज्ज | निर्लज्ज | pos=a,g=m,c=8,n=s |
चारित्रेषु | चारित्र | pos=n,g=n,c=7,n=p |
अनवस्थितैः | अनवस्थित | pos=a,g=m,c=8,n=s |
दर्पतः | दर्प | pos=n,g=m,c=5,n=s |
मृत्युम् | मृत्यु | pos=n,g=m,c=2,n=s |
उपादाय | उपादा | pos=vi |
शूरो | शूर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽहम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
इति | इति | pos=i |
मन्यसे | मन् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |