Original

त्यजस्व कोपं सुखधर्मनाशनं भजस्व धर्मं रतिकीर्तिवर्धनम् ।प्रसीद जीवेम सपुत्रबान्धवाः प्रदीयतां दाशरथाय मैथिली ॥ २२ ॥

Segmented

त्यजस्व कोपम् सुख-धर्म-नाशनम् भजस्व धर्मम् रति-कीर्ति-वर्धनम् प्रसीद जीवेम स पुत्र-बान्धवाः प्रदीयताम् दाशरथाय मैथिली

Analysis

Word Lemma Parse
त्यजस्व त्यज् pos=v,p=2,n=s,l=lot
कोपम् कोप pos=n,g=m,c=2,n=s
सुख सुख pos=n,comp=y
धर्म धर्म pos=n,comp=y
नाशनम् नाशन pos=a,g=m,c=2,n=s
भजस्व भज् pos=v,p=2,n=s,l=lot
धर्मम् धर्म pos=n,g=m,c=2,n=s
रति रति pos=n,comp=y
कीर्ति कीर्ति pos=n,comp=y
वर्धनम् वर्धन pos=a,g=m,c=2,n=s
प्रसीद प्रसद् pos=v,p=2,n=s,l=lot
जीवेम जीव् pos=v,p=1,n=p,l=vidhilin
pos=i
पुत्र पुत्र pos=n,comp=y
बान्धवाः बान्धव pos=n,g=m,c=1,n=p
प्रदीयताम् प्रदा pos=v,p=3,n=s,l=lot
दाशरथाय दाशरथ pos=n,g=m,c=4,n=s
मैथिली मैथिली pos=n,g=f,c=1,n=s