Original

प्रसादये त्वां बन्धुत्वात्कुरुष्व वचनं मम ।हितं पथ्यं त्वहं ब्रूमि दीयतामस्य मैथिली ॥ २० ॥

Segmented

प्रसादये त्वाम् बन्धु-त्वात् कुरुष्व वचनम् मम हितम् पथ्यम् तु अहम् ब्रूमि दीयताम् अस्य मैथिली

Analysis

Word Lemma Parse
प्रसादये प्रसादय् pos=v,p=1,n=s,l=lat
त्वाम् त्वद् pos=n,g=,c=2,n=s
बन्धु बन्धु pos=n,comp=y
त्वात् त्व pos=n,g=n,c=5,n=s
कुरुष्व कृ pos=v,p=2,n=s,l=lot
वचनम् वचन pos=n,g=n,c=2,n=s
मम मद् pos=n,g=,c=6,n=s
हितम् हित pos=a,g=n,c=2,n=s
पथ्यम् पथ्य pos=a,g=n,c=2,n=s
तु तु pos=i
अहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
ब्रूमि ब्रू pos=v,p=1,n=s,l=lat
दीयताम् दा pos=v,p=3,n=s,l=lot
अस्य इदम् pos=n,g=m,c=6,n=s
मैथिली मैथिली pos=n,g=f,c=1,n=s