रामायणम् — 6.67.3
Original
Segmented
त्वम् अप्रतिम-कर्माणम् इन्द्रम् जयसि संयुगे किम् पुनः मानुषौ दृष्ट्वा न वधिष्यसि संयुगे
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
अप्रतिम | अप्रतिम | pos=a,comp=y |
कर्माणम् | कर्मन् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
इन्द्रम् | इन्द्र | pos=n,g=m,c=2,n=s |
जयसि | जि | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
संयुगे | संयुग | pos=n,g=n,c=7,n=s |
किम् | किम् | pos=i |
पुनः | पुनर् | pos=i |
मानुषौ | मानुष | pos=n,g=m,c=2,n=d |
दृष्ट्वा | दृश् | pos=vi |
न | न | pos=i |
वधिष्यसि | वध् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
संयुगे | संयुग | pos=n,g=n,c=7,n=s |