Original

स ब्रह्मकोशं रजतालयं च शक्रालयं रुद्रशरप्रमोक्षम् ।हयाननं ब्रह्मशिरश्च दीप्तं ददर्श वैवस्वत किंकरांश्च ॥ ५३ ॥

Segmented

स ब्रह्मकोशम् रजत-आलयम् च शक्र-आलयम् रुद्र-शर-प्रमोक्षम् हय-आननम् ब्रह्मशिरस् च दीप्तम् ददर्श वैवस्वत-किंकरान् च

Analysis

Word Lemma Parse
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
ब्रह्मकोशम् ब्रह्मकोश pos=n,g=m,c=2,n=s
रजत रजत pos=n,comp=y
आलयम् आलय pos=n,g=m,c=2,n=s
pos=i
शक्र शक्र pos=n,comp=y
आलयम् आलय pos=n,g=m,c=2,n=s
रुद्र रुद्र pos=n,comp=y
शर शर pos=n,comp=y
प्रमोक्षम् प्रमोक्ष pos=n,g=m,c=2,n=s
हय हय pos=n,comp=y
आननम् आनन pos=n,g=n,c=2,n=s
ब्रह्मशिरस् ब्रह्मशिरस् pos=n,g=n,c=2,n=s
pos=i
दीप्तम् दीप् pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part
ददर्श दृश् pos=v,p=3,n=s,l=lit
वैवस्वत वैवस्वत pos=n,comp=y
किंकरान् किंकर pos=n,g=m,c=2,n=p
pos=i