रामायणम् — 6.51.26
Original
Segmented
स सुहृद् यो विपन्न-अर्थम् दीनम् अभ्यवपद्यते स बन्धुः यो ऽपनीतेषु साहाय्याय उपकल्पते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
सुहृद् | सुहृद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
विपन्न | विपद् | pos=va,comp=y,f=part |
अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
दीनम् | दीन | pos=a,g=m,c=2,n=s |
अभ्यवपद्यते | अभ्यवपद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
बन्धुः | बन्धु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽपनीतेषु | अपनी | pos=va,g=m,c=7,n=p,f=part |
साहाय्याय | साहाय्य | pos=n,g=n,c=4,n=s |
उपकल्पते | उपक्ᄆप् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |