Original

स नागभोगाचलशृङ्गकल्पौ विक्षिप्य बाहू गिरिशृङ्गसारौ ।विवृत्य वक्त्रं वडवामुखाभं निशाचरोऽसौ विकृतं जजृम्भे ॥ ४९ ॥

Segmented

स नाग-भोग-अचल-शृङ्ग-कल्पौ विक्षिप्य बाहू गिरि-शृङ्ग-सारौ विवृत्य वक्त्रम् वडबामुख-आभम् निशाचरो ऽसौ विकृतम् जजृम्भे

Analysis

Word Lemma Parse
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
नाग नाग pos=n,comp=y
भोग भोग pos=n,comp=y
अचल अचल pos=n,comp=y
शृङ्ग शृङ्ग pos=n,comp=y
कल्पौ कल्प pos=a,g=m,c=2,n=d
विक्षिप्य विक्षिप् pos=vi
बाहू बाहु pos=n,g=m,c=2,n=d
गिरि गिरि pos=n,comp=y
शृङ्ग शृङ्ग pos=n,comp=y
सारौ सार pos=n,g=m,c=2,n=d
विवृत्य विवृ pos=vi
वक्त्रम् वक्त्र pos=n,g=n,c=2,n=s
वडबामुख वडबामुख pos=n,comp=y
आभम् आभ pos=a,g=n,c=2,n=s
निशाचरो निशाचर pos=n,g=m,c=1,n=s
ऽसौ अदस् pos=n,g=m,c=1,n=s
विकृतम् विकृ pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part
जजृम्भे जृम्भ् pos=v,p=3,n=s,l=lit