Original

तद्विकीर्णं गिरेः शृङ्गं दृष्ट्वा हरिचमूपतिः ।कालाग्निरिव जज्वाल क्रोधेन परवीरहा ॥ ७२ ॥

Segmented

तद् विकीर्णम् गिरेः शृङ्गम् दृष्ट्वा हरि-चमूपति कालाग्निः इव जज्वाल क्रोधेन पर-वीर-हा

Analysis

Word Lemma Parse
तद् तद् pos=n,g=n,c=2,n=s
विकीर्णम् विकृ pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part
गिरेः गिरि pos=n,g=m,c=6,n=s
शृङ्गम् शृङ्ग pos=n,g=n,c=2,n=s
दृष्ट्वा दृश् pos=vi
हरि हरि pos=n,comp=y
चमूपति चमूपति pos=n,g=m,c=1,n=s
कालाग्निः कालाग्नि pos=n,g=m,c=1,n=s
इव इव pos=i
जज्वाल ज्वल् pos=v,p=3,n=s,l=lit
क्रोधेन क्रोध pos=n,g=m,c=3,n=s
पर पर pos=n,comp=y
वीर वीर pos=n,comp=y
हा हन् pos=a,g=m,c=1,n=s