Original

तस्मिन्प्रवृद्धोत्तमसानुवृक्षे शृङ्गे विकीर्णे पतिते पृथिव्याम् ।महाहिकल्पं शरमन्तकाभं समाददे राक्षसलोकनाथः ॥ ३६ ॥

Segmented

तस्मिन् प्रवृद्ध-उत्तम-सानु-वृक्षे शृङ्गे विकीर्णे पतिते पृथिव्याम् महा-अहि-कल्पम् शरम् अन्तक-आभम् समाददे राक्षस-लोक-नाथः

Analysis

Word Lemma Parse
तस्मिन् तद् pos=n,g=n,c=7,n=s
प्रवृद्ध प्रवृध् pos=va,comp=y,f=part
उत्तम उत्तम pos=a,comp=y
सानु सानु pos=n,comp=y
वृक्षे वृक्ष pos=n,g=n,c=7,n=s
शृङ्गे शृङ्ग pos=n,g=n,c=7,n=s
विकीर्णे विकृ pos=va,g=n,c=7,n=s,f=part
पतिते पत् pos=va,g=n,c=7,n=s,f=part
पृथिव्याम् पृथिवी pos=n,g=f,c=7,n=s
महा महत् pos=a,comp=y
अहि अहि pos=n,comp=y
कल्पम् कल्प pos=a,g=m,c=2,n=s
शरम् शर pos=n,g=m,c=2,n=s
अन्तक अन्तक pos=n,comp=y
आभम् आभ pos=a,g=m,c=2,n=s
समाददे समादा pos=v,p=3,n=s,l=lit
राक्षस राक्षस pos=n,comp=y
लोक लोक pos=n,comp=y
नाथः नाथ pos=n,g=m,c=1,n=s