रामायणम् — 6.2.13
Original
Segmented
पुरुषस्य हि लोके ऽस्मिञ् शोकः शौर्य-अपकर्षणः यत् तु कार्यम् मनुष्येण शौण्डीर्यम् अवलम्बता शूराणाम् हि मनुष्याणाम् त्वद्विधानाम् महात्मनाम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
पुरुषस्य | पुरुष | pos=n,g=m,c=6,n=s |
हि | हि | pos=i |
लोके | लोक | pos=n,g=m,c=7,n=s |
ऽस्मिञ् | इदम् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
शोकः | शोक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
शौर्य | शौर्य | pos=n,comp=y |
अपकर्षणः | अपकर्षण | pos=a,g=m,c=1,n=s |
यत् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तु | तु | pos=i |
कार्यम् | कृ | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=krtya |
मनुष्येण | मनुष्य | pos=n,g=m,c=3,n=s |
शौण्डीर्यम् | शौण्डीर्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
अवलम्बता | अवलम्ब् | pos=va,g=m,c=3,n=s,f=part |
शूराणाम् | शूर | pos=n,g=m,c=6,n=p |
हि | हि | pos=i |
मनुष्याणाम् | मनुष्य | pos=n,g=m,c=6,n=p |
त्वद्विधानाम् | त्वद्विध | pos=a,g=m,c=6,n=p |
महात्मनाम् | महात्मन् | pos=a,g=m,c=6,n=p |