Original

रावणाङ्कपरिभ्रष्टां दृष्टां दुष्टेन चक्षुषा ।कथं त्वां पुनरादद्यां कुलं व्यपदिशन्महत् ॥ २० ॥

Segmented

रावण-अङ्क-परिभ्रष्टाम् दृष्टाम् दुष्टेन चक्षुषा कथम् त्वाम् पुनः आदद्याम् कुलम् व्यपदिः महत्

Analysis

Word Lemma Parse
रावण रावण pos=n,comp=y
अङ्क अङ्क pos=n,comp=y
परिभ्रष्टाम् परिभ्रंश् pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part
दृष्टाम् दृश् pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part
दुष्टेन दुष् pos=va,g=n,c=3,n=s,f=part
चक्षुषा चक्षुस् pos=n,g=n,c=3,n=s
कथम् कथम् pos=i
त्वाम् त्वद् pos=n,g=,c=2,n=s
पुनः पुनर् pos=i
आदद्याम् आदा pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin
कुलम् कुल pos=n,g=n,c=2,n=s
व्यपदिः व्यपदिश् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
महत् महत् pos=a,g=n,c=2,n=s