Original

गमने च कृतोत्साहमवेक्ष्य वरवर्णिनी ।विवर्धमानं च हि मामुवाच जनकात्मजा ।अश्रुपूर्णमुखी दीना बाष्पसंदिग्धभाषिणी ॥ ३२ ॥

Segmented

गमने च कृत-उत्साहम् अवेक्ष्य वरवर्णिनी विवर्धमानम् च हि माम् उवाच जनकात्मजा अश्रु-पूर्ण-मुखी दीना बाष्प-संदिग्ध-भाषिणी

Analysis

Word Lemma Parse
गमने गमन pos=n,g=n,c=7,n=s
pos=i
कृत कृ pos=va,comp=y,f=part
उत्साहम् उत्साह pos=n,g=m,c=2,n=s
अवेक्ष्य अवेक्ष् pos=vi
वरवर्णिनी वरवर्णिनी pos=n,g=f,c=1,n=s
विवर्धमानम् विवृध् pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
pos=i
हि हि pos=i
माम् मद् pos=n,g=,c=2,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
जनकात्मजा जनकात्मजा pos=n,g=f,c=1,n=s
अश्रु अश्रु pos=n,comp=y
पूर्ण पूर्ण pos=a,comp=y
मुखी मुख pos=a,g=f,c=1,n=s
दीना दीन pos=a,g=f,c=1,n=s
बाष्प बाष्प pos=n,comp=y
संदिग्ध संदिह् pos=va,comp=y,f=part
भाषिणी भाषिन् pos=a,g=f,c=1,n=s