रामायणम् — 5.4.17
Original
Segmented
अप्रावृताः काञ्चन-राजि-वर्णाः काश्चित् परार्ध्याः तपनीय-वर्णाः पुनः च काश्चिद् शशलक्ष्मन्-वर्णाः कान्त-प्रहीणाः रुचिर-अङ्ग-वर्णाः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अप्रावृताः | अप्रावृत | pos=a,g=f,c=2,n=p |
काञ्चन | काञ्चन | pos=n,comp=y |
राजि | राजि | pos=n,comp=y |
वर्णाः | वर्ण | pos=n,g=f,c=2,n=p |
काश्चित् | कश्चित् | pos=n,g=f,c=2,n=p |
परार्ध्याः | परार्ध्य | pos=a,g=f,c=2,n=p |
तपनीय | तपनीय | pos=n,comp=y |
वर्णाः | वर्ण | pos=n,g=f,c=2,n=p |
पुनः | पुनर् | pos=i |
च | च | pos=i |
काश्चिद् | कश्चित् | pos=n,g=f,c=2,n=p |
शशलक्ष्मन् | शशलक्ष्मन् | pos=n,comp=y |
वर्णाः | वर्ण | pos=n,g=f,c=2,n=p |
कान्त | कान्त | pos=n,comp=y |
प्रहीणाः | प्रहा | pos=va,g=f,c=2,n=p,f=part |
रुचिर | रुचिर | pos=a,comp=y |
अङ्ग | अङ्ग | pos=n,comp=y |
वर्णाः | वर्ण | pos=n,g=f,c=2,n=p |