रामायणम् — 5.35.16
Original
Segmented
चतुर्दश-सहस्राणि राक्षसानाम् जघान यः जनस्थाने विना भ्रात्रा शत्रुः कः तस्य न उद्विजेत्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
चतुर्दश | चतुर्दशन् | pos=a,comp=y |
सहस्राणि | सहस्र | pos=n,g=n,c=2,n=p |
राक्षसानाम् | राक्षस | pos=n,g=m,c=6,n=p |
जघान | हन् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
जनस्थाने | जनस्थान | pos=n,g=n,c=7,n=s |
विना | विना | pos=i |
भ्रात्रा | भ्रातृ | pos=n,g=m,c=3,n=s |
शत्रुः | शत्रु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
कः | क | pos=n,g=m,c=1,n=s |
तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
न | न | pos=i |
उद्विजेत् | उद्विज् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |