Original

रूपवान्सुभगः श्रीमान्कन्दर्प इव मूर्तिमान् ।स्थानक्रोधप्रहर्ता च श्रेष्ठो लोके महारथः ।बाहुच्छायामवष्टब्धो यस्य लोको महात्मनः ॥ २९ ॥

Segmented

रूपवान् सुभगः श्रीमान् कन्दर्प इव मूर्तिमान् स्थान-क्रोध-प्रहर्ता च श्रेष्ठो लोके महा-रथः बाहु-छायाम् अवष्टब्धो यस्य लोको महात्मनः

Analysis

Word Lemma Parse
रूपवान् रूपवत् pos=a,g=m,c=1,n=s
सुभगः सुभग pos=a,g=m,c=1,n=s
श्रीमान् श्रीमत् pos=a,g=m,c=1,n=s
कन्दर्प कन्दर्प pos=n,g=m,c=1,n=s
इव इव pos=i
मूर्तिमान् मूर्तिमत् pos=a,g=m,c=1,n=s
स्थान स्थान pos=n,comp=y
क्रोध क्रोध pos=n,comp=y
प्रहर्ता प्रहर्तृ pos=n,g=m,c=1,n=s
pos=i
श्रेष्ठो श्रेष्ठ pos=a,g=m,c=1,n=s
लोके लोक pos=n,g=m,c=7,n=s
महा महत् pos=a,comp=y
रथः रथ pos=n,g=m,c=1,n=s
बाहु बाहु pos=n,comp=y
छायाम् छाया pos=n,g=f,c=2,n=s
अवष्टब्धो अवष्टम्भ् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
यस्य यद् pos=n,g=m,c=6,n=s
लोको लोक pos=n,g=m,c=1,n=s
महात्मनः महात्मन् pos=a,g=m,c=6,n=s