Original

दिव्याङ्गरागा वैदेहि दिव्याभरणभूषिता ।अद्य प्रभृति सर्वेषां लोकानामीश्वरी भव ।अग्नेः स्वाहा यथा देवी शचीवेन्द्रस्य शोभने ॥ २० ॥

Segmented

दिव्य-अङ्ग-रागा वैदेहि दिव्य-आभरण-भूषिता अद्य प्रभृति सर्वेषाम् लोकानाम् ईश्वरी भव अग्नेः स्वाहा यथा देवी शची इव इन्द्रस्य शोभने

Analysis

Word Lemma Parse
दिव्य दिव्य pos=a,comp=y
अङ्ग अङ्ग pos=n,comp=y
रागा राग pos=n,g=f,c=1,n=s
वैदेहि वैदेही pos=n,g=f,c=8,n=s
दिव्य दिव्य pos=a,comp=y
आभरण आभरण pos=n,comp=y
भूषिता भूषय् pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
अद्य अद्य pos=i
प्रभृति प्रभृति pos=i
सर्वेषाम् सर्व pos=n,g=m,c=6,n=p
लोकानाम् लोक pos=n,g=m,c=6,n=p
ईश्वरी ईश्वरा pos=n,g=f,c=1,n=s
भव भू pos=v,p=2,n=s,l=lot
अग्नेः अग्नि pos=n,g=m,c=6,n=s
स्वाहा स्वाहा pos=n,g=f,c=1,n=s
यथा यथा pos=i
देवी देवी pos=n,g=f,c=1,n=s
शची शची pos=n,g=f,c=1,n=s
इव इव pos=i
इन्द्रस्य इन्द्र pos=n,g=m,c=6,n=s
शोभने शोभन pos=a,g=f,c=8,n=s