Original

गिरिमूर्ध्नि स्थितां लङ्कां पाण्डुरैर्भवनैः शुभैः ।ददर्श स कपिः श्रीमान्पुरमाकाशगं यथा ॥ १८ ॥

Segmented

गिरि-मूर्ध्नि स्थिताम् लङ्काम् पाण्डुरैः भवनैः शुभैः ददर्श स कपिः श्रीमान् पुरम् आकाश-गम् यथा

Analysis

Word Lemma Parse
गिरि गिरि pos=n,comp=y
मूर्ध्नि मूर्धन् pos=n,g=m,c=7,n=s
स्थिताम् स्था pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part
लङ्काम् लङ्का pos=n,g=f,c=2,n=s
पाण्डुरैः पाण्डुर pos=a,g=n,c=3,n=p
भवनैः भवन pos=n,g=n,c=3,n=p
शुभैः शुभ pos=a,g=n,c=3,n=p
ददर्श दृश् pos=v,p=3,n=s,l=lit
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
कपिः कपि pos=n,g=m,c=1,n=s
श्रीमान् श्रीमत् pos=a,g=m,c=1,n=s
पुरम् पुर pos=n,g=n,c=2,n=s
आकाश आकाश pos=n,comp=y
गम् pos=a,g=n,c=2,n=s
यथा यथा pos=i