रामायणम् — 5.13.6
Original
Segmented
प्रदीप्ताम् इव तत्रस्थो मारुतिः समुदैक्षत निष्पत्त्र-शाखाम् विहगैः क्रियमाणाम् इव असकृत् विनिष्पतद्भिः शतशस् चित्रैः पुष्प-अवतंसकैः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्रदीप्ताम् | प्रदीप् | pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part |
इव | इव | pos=i |
तत्रस्थो | तत्रस्थ | pos=a,g=m,c=1,n=s |
मारुतिः | मारुति | pos=n,g=m,c=1,n=s |
समुदैक्षत | समुदीक्ष् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
निष्पत्त्र | निष्पत्त्र | pos=a,comp=y |
शाखाम् | शाखा | pos=n,g=f,c=2,n=s |
विहगैः | विहग | pos=n,g=m,c=3,n=p |
क्रियमाणाम् | कृ | pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part |
इव | इव | pos=i |
असकृत् | असकृत् | pos=i |
विनिष्पतद्भिः | विनिष्पत् | pos=va,g=m,c=3,n=p,f=part |
शतशस् | शतशस् | pos=i |
चित्रैः | चित्र | pos=a,g=m,c=3,n=p |
पुष्प | पुष्प | pos=n,comp=y |
अवतंसकैः | अवतंसक | pos=n,g=m,c=3,n=p |