रामायणम् — 5.1.81
Original
Segmented
त्वम् एषाम् ज्ञात-वीर्याणाम् पुनः एव उत्पत् पातालस्य अप्रमेयस्य द्वारम् आवृत्य तिष्ठसि
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
एषाम् | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
ज्ञात | ज्ञा | pos=va,comp=y,f=part |
वीर्याणाम् | वीर्य | pos=n,g=m,c=6,n=p |
पुनः | पुनर् | pos=i |
एव | एव | pos=i |
उत्पत् | उत्पत् | pos=va,g=m,c=6,n=p,f=part |
पातालस्य | पाताल | pos=n,g=n,c=6,n=s |
अप्रमेयस्य | अप्रमेय | pos=a,g=n,c=6,n=s |
द्वारम् | द्वार | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आवृत्य | आवृ | pos=vi |
तिष्ठसि | स्था | pos=v,p=2,n=s,l=lat |