Original

राक्षसं रूपमास्थाय सुघोरं पर्वतोपमम् ।दंष्ट्राकरालं पिङ्गाक्षं वक्त्रं कृत्वा नभःस्पृशम् ॥ १३२ ॥

Segmented

राक्षसम् रूपम् आस्थाय सु घोरम् पर्वत-उपमम् दंष्ट्र-करालम् पिङ्ग-अक्षम् वक्त्रम् कृत्वा नभः-स्पृशम्

Analysis

Word Lemma Parse
राक्षसम् राक्षस pos=a,g=n,c=2,n=s
रूपम् रूप pos=n,g=n,c=2,n=s
आस्थाय आस्था pos=vi
सु सु pos=i
घोरम् घोर pos=a,g=n,c=2,n=s
पर्वत पर्वत pos=n,comp=y
उपमम् उपम pos=a,g=n,c=2,n=s
दंष्ट्र दंष्ट्र pos=n,comp=y
करालम् कराल pos=a,g=n,c=2,n=s
पिङ्ग पिङ्ग pos=a,comp=y
अक्षम् अक्ष pos=n,g=n,c=2,n=s
वक्त्रम् वक्त्र pos=n,g=n,c=2,n=s
कृत्वा कृ pos=vi
नभः नभस् pos=n,comp=y
स्पृशम् स्पृश् pos=a,g=m,c=2,n=s