रामायणम् — 5.1.102
Original
Segmented
तिष्ठ त्वम् हरि-शार्दूल मयि विश्रम्य गम्यताम् तद् इदम् गन्धवत् स्वादु कन्द-मूल-फलम् बहु तद् आस्वाद्य हरि-श्रेष्ठ विश्रान्तो ऽनुगमिष्यसि
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
तिष्ठ | स्था | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
हरि | हरि | pos=n,comp=y |
शार्दूल | शार्दूल | pos=n,g=m,c=8,n=s |
मयि | मद् | pos=n,g=,c=7,n=s |
विश्रम्य | विश्रम् | pos=vi |
गम्यताम् | गम् | pos=v,p=3,n=s,l=lot |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
इदम् | इदम् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
गन्धवत् | गन्धवत् | pos=a,g=n,c=1,n=s |
स्वादु | स्वादु | pos=a,g=n,c=1,n=s |
कन्द | कन्द | pos=n,comp=y |
मूल | मूल | pos=n,comp=y |
फलम् | फल | pos=n,g=n,c=1,n=s |
बहु | बहु | pos=a,g=n,c=1,n=s |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आस्वाद्य | आस्वादय् | pos=vi |
हरि | हरि | pos=n,comp=y |
श्रेष्ठ | श्रेष्ठ | pos=a,g=m,c=8,n=s |
विश्रान्तो | विश्रम् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
ऽनुगमिष्यसि | अनुगम् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |