Original

सोऽहं सभाज्यो बन्धूनां सुहृदां चैव राघव ।यस्याग्निसाक्षिकं मित्रं लब्धं राघववंशजम् ॥ ४ ॥

Segmented

सो ऽहम् सभाज्यो बन्धूनाम् सुहृदाम् च एव राघव यस्य अग्नि-साक्षिकम् मित्रम् लब्धम् राघव-वंश-जम्

Analysis

Word Lemma Parse
सो तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
ऽहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
सभाज्यो सभाज्य pos=a,g=m,c=1,n=s
बन्धूनाम् बन्धु pos=n,g=m,c=6,n=p
सुहृदाम् सुहृद् pos=n,g=m,c=6,n=p
pos=i
एव एव pos=i
राघव राघव pos=n,g=m,c=8,n=s
यस्य यद् pos=n,g=m,c=6,n=s
अग्नि अग्नि pos=n,comp=y
साक्षिकम् साक्षिक pos=n,g=n,c=1,n=s
मित्रम् मित्र pos=n,g=n,c=1,n=s
लब्धम् लभ् pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part
राघव राघव pos=n,comp=y
वंश वंश pos=n,comp=y
जम् pos=a,g=n,c=1,n=s