रामायणम् — 4.29.37
Original
Segmented
त्वम् प्रविश्य च किष्किन्धाम् ब्रूहि वानर-पुंगवम् मूर्खम् ग्राम्य-सुखे सक्तम् सुग्रीवम् वचनान् मम
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
प्रविश्य | प्रविश् | pos=vi |
च | च | pos=i |
किष्किन्धाम् | किष्किन्धा | pos=n,g=f,c=2,n=s |
ब्रूहि | ब्रू | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
वानर | वानर | pos=n,comp=y |
पुंगवम् | पुंगव | pos=n,g=m,c=2,n=s |
मूर्खम् | मूर्ख | pos=a,g=m,c=2,n=s |
ग्राम्य | ग्राम्य | pos=n,comp=y |
सुखे | सुख | pos=n,g=n,c=7,n=s |
सक्तम् | सञ्ज् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
सुग्रीवम् | सुग्रीव | pos=n,g=m,c=2,n=s |
वचनान् | वचन | pos=n,g=n,c=5,n=s |
मम | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |