रामायणम् — 4.26.23
Original
Segmented
नियम्य कोपम् प्रतिपाल्यताम् शरत् क्षमस्व मासांः चतुरो मया सह वस अचले ऽस्मिन् मृगराज-सेविते संवर्धयञ् शत्रु-वधे समुद्यतः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
नियम्य | नियम् | pos=vi |
कोपम् | कोप | pos=n,g=m,c=2,n=s |
प्रतिपाल्यताम् | प्रतिपालय् | pos=v,p=3,n=s,l=lot |
शरत् | शरद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
क्षमस्व | क्षम् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
मासांः | मास | pos=n,g=m,c=2,n=p |
चतुरो | चतुर् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
मया | मद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
सह | सह | pos=i |
वस | वस् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
अचले | अचल | pos=n,g=m,c=7,n=s |
ऽस्मिन् | इदम् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
मृगराज | मृगराज | pos=n,comp=y |
सेविते | सेव् | pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part |
संवर्धयञ् | संवर्धय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
शत्रु | शत्रु | pos=n,comp=y |
वधे | वध | pos=n,g=m,c=7,n=s |
समुद्यतः | समुदि | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |