Original

जितकाशी जयश्लाघी त्वया चाधर्षितः पुरात् ।निष्पतिष्यत्यसंगेन वाली स प्रियसंयुगः ॥ १६ ॥

Segmented

जितकाशी जय-श्लाघी त्वया च आधर्षितः पुरात् निष्पतिष्यत्य् असङ्गेन वाली स प्रिय-संयुगः

Analysis

Word Lemma Parse
जितकाशी जितकाशिन् pos=a,g=m,c=1,n=s
जय जय pos=n,comp=y
श्लाघी श्लाघिन् pos=a,g=m,c=1,n=s
त्वया त्वद् pos=n,g=,c=3,n=s
pos=i
आधर्षितः आधर्षय् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
पुरात् पुर pos=n,g=n,c=5,n=s
निष्पतिष्यत्य् निष्पत् pos=v,p=3,n=s,l=lrt
असङ्गेन असङ्ग pos=n,g=m,c=3,n=s
वाली वालिन् pos=n,g=m,c=1,n=s
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
प्रिय प्रिय pos=a,comp=y
संयुगः संयुग pos=n,g=m,c=1,n=s