रामायणम् — 4.10.29
Original
Segmented
आत्म-अनुमानतः पश्यामि मग्नम् त्वाम् शोक-सागरे त्वाम् अहम् तारयिष्यामि कामम् प्राप्स्यसि पुष्कलम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
आत्म | आत्मन् | pos=n,comp=y |
अनुमानतः | अनुमान | pos=n,g=n,c=5,n=s |
पश्यामि | दृश् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
मग्नम् | मज्ज् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
त्वाम् | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
शोक | शोक | pos=n,comp=y |
सागरे | सागर | pos=n,g=m,c=7,n=s |
त्वाम् | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
अहम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
तारयिष्यामि | तारय् | pos=v,p=1,n=s,l=lrt |
कामम् | काम | pos=n,g=m,c=2,n=s |
प्राप्स्यसि | प्राप् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
पुष्कलम् | पुष्कल | pos=a,g=m,c=2,n=s |