Original

विरूपं यच्च मे रूपं प्राप्तं ह्यविनयाद्यथा ।तन्मे शृणु नरव्याघ्र तत्त्वतः शंसतस्तव ॥ १५ ॥

Segmented

विरूपम् यच् च मे रूपम् प्राप्तम् ह्य् अविनयाद् यथा तन् मे शृणु नर-व्याघ्र तत्त्वतः शंसतस् तव

Analysis

Word Lemma Parse
विरूपम् विरूप pos=a,g=n,c=1,n=s
यच् यद् pos=n,g=n,c=1,n=s
pos=i
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
रूपम् रूप pos=n,g=n,c=1,n=s
प्राप्तम् प्राप् pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part
ह्य् हि pos=i
अविनयाद् अविनय pos=a,g=m,c=5,n=s
यथा यथा pos=i
तन् तद् pos=n,g=n,c=2,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
शृणु श्रु pos=v,p=2,n=s,l=lot
नर नर pos=n,comp=y
व्याघ्र व्याघ्र pos=n,g=m,c=8,n=s
तत्त्वतः तत्त्व pos=n,g=n,c=5,n=s
शंसतस् शंस् pos=va,g=m,c=6,n=s,f=part
तव त्वद् pos=n,g=,c=6,n=s