Original

मनश्च मे दीनमिहाप्रहृष्टं चक्षुश्च सव्यं कुरुते विकारम् ।असंशयं लक्ष्मण नास्ति सीता हृता मृता वा पथि वर्तते वा ॥ २० ॥

Segmented

मनः च मे दीनम् इह अप्रहृष्टम् चक्षुः च सव्यम् कुरुते विकारम् असंशयम् लक्ष्मण न अस्ति सीता हृता मृता वा पथि वर्तते वा

Analysis

Word Lemma Parse
मनः मनस् pos=n,g=n,c=1,n=s
pos=i
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
दीनम् दीन pos=a,g=n,c=1,n=s
इह इह pos=i
अप्रहृष्टम् अप्रहृष्ट pos=a,g=n,c=1,n=s
चक्षुः चक्षुस् pos=n,g=n,c=1,n=s
pos=i
सव्यम् सव्य pos=a,g=n,c=1,n=s
कुरुते कृ pos=v,p=3,n=s,l=lat
विकारम् विकार pos=n,g=m,c=2,n=s
असंशयम् असंशय pos=n,g=m,c=2,n=s
लक्ष्मण लक्ष्मण pos=n,g=m,c=8,n=s
pos=i
अस्ति अस् pos=v,p=3,n=s,l=lat
सीता सीता pos=n,g=f,c=1,n=s
हृता हृ pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
मृता मृ pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
वा वा pos=i
पथि पथिन् pos=n,g=m,c=7,n=s
वर्तते वृत् pos=v,p=3,n=s,l=lat
वा वा pos=i