रामायणम् — 3.48.7
Original
Segmented
न तत् समाचरेद् धीरो यत् परो ऽस्य विगर्हयेत् यथा आत्मनः तथा अन्येषाम् दारा रक्ष्या विमर्शनात्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
न | न | pos=i |
तत् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
समाचरेद् | समाचर् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
धीरो | धीर | pos=a,g=m,c=1,n=s |
यत् | यद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
परो | पर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽस्य | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
विगर्हयेत् | विगर्हय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
यथा | यथा | pos=i |
आत्मनः | आत्मन् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
तथा | तथा | pos=i |
अन्येषाम् | अन्य | pos=n,g=m,c=6,n=p |
दारा | दार | pos=n,g=m,c=1,n=p |
रक्ष्या | रक्ष् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=krtya |
विमर्शनात् | विमर्शन | pos=n,g=n,c=5,n=s |