Original

अर्कं रुन्ध्यां शरैस्तीक्ष्णैर्विभिन्द्यां हि महीतलम् ।कामरूपिणमुन्मत्ते पश्य मां कामदं पतिम् ॥ ४ ॥

Segmented

अर्कम् रुन्ध्याम् शरैस् तीक्ष्णैः विभिन्द्याम् हि मही-तलम् कामरूपिणम् उन्मत्ते पश्य माम् काम-दम् पतिम्

Analysis

Word Lemma Parse
अर्कम् अर्क pos=n,g=m,c=2,n=s
रुन्ध्याम् रुध् pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin
शरैस् शर pos=n,g=m,c=3,n=p
तीक्ष्णैः तीक्ष्ण pos=a,g=m,c=3,n=p
विभिन्द्याम् विभिद् pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin
हि हि pos=i
मही मही pos=n,comp=y
तलम् तल pos=n,g=m,c=2,n=s
कामरूपिणम् कामरूपिन् pos=a,g=m,c=2,n=s
उन्मत्ते उन्मद् pos=va,g=f,c=8,n=s,f=part
पश्य पश् pos=v,p=2,n=s,l=lot
माम् मद् pos=n,g=,c=2,n=s
काम काम pos=n,comp=y
दम् pos=a,g=m,c=2,n=s
पतिम् पति pos=n,g=m,c=2,n=s