रामायणम् — 3.45.37
Original
Segmented
अवसज्य शिलाम् कण्ठे समुद्रम् तर्तुम् इच्छसि सूर्या-चन्द्रमसा च उभौ प्राणिभ्याम् हर्तुम् इच्छसि यो रामस्य प्रियाम् भार्याम् प्रधर्षयितुम् इच्छसि
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अवसज्य | अवसञ्ज् | pos=vi |
शिलाम् | शिला | pos=n,g=f,c=2,n=s |
कण्ठे | कण्ठ | pos=n,g=m,c=7,n=s |
समुद्रम् | समुद्र | pos=n,g=m,c=2,n=s |
तर्तुम् | तृ | pos=vi |
इच्छसि | इष् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
सूर्या | सूर्या | pos=n,comp=y |
चन्द्रमसा | चन्द्रमस् | pos=n,g=m,c=2,n=d |
च | च | pos=i |
उभौ | उभ् | pos=n,g=m,c=2,n=d |
प्राणिभ्याम् | प्राणिन् | pos=n,g=m,c=3,n=d |
हर्तुम् | हृ | pos=vi |
इच्छसि | इष् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
रामस्य | राम | pos=n,g=m,c=6,n=s |
प्रियाम् | प्रिय | pos=a,g=f,c=2,n=s |
भार्याम् | भार्या | pos=n,g=f,c=2,n=s |
प्रधर्षयितुम् | प्रधर्षय् | pos=vi |
इच्छसि | इष् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |