रामायणम् — 3.41.17
Original
Segmented
भरतस्य आर्य-पुत्रस्य श्वश्रूणाम् मम च प्रभो मृग-रूपम् इदम् दिव्यम् विस्मयम् जनयिष्यति
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
भरतस्य | भरत | pos=n,g=m,c=6,n=s |
आर्य | आर्य | pos=n,comp=y |
पुत्रस्य | पुत्र | pos=n,g=m,c=6,n=s |
श्वश्रूणाम् | श्वश्रू | pos=n,g=f,c=6,n=p |
मम | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
च | च | pos=i |
प्रभो | प्रभु | pos=n,g=m,c=8,n=s |
मृग | मृग | pos=n,comp=y |
रूपम् | रूप | pos=n,g=n,c=1,n=s |
इदम् | इदम् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
दिव्यम् | दिव्य | pos=a,g=n,c=1,n=s |
विस्मयम् | विस्मय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
जनयिष्यति | जनय् | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |