रामायणम् — 3.38.15
Original
Segmented
सौवर्णस् त्वम् मृगो भूत्वा चित्रो रजत-बिन्दुभिः प्रलोभयित्वा वैदेहीम् यथेष्टम् गन्तुम् अर्हसि
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
सौवर्णस् | सौवर्ण | pos=a,g=m,c=1,n=s |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
मृगो | मृग | pos=n,g=m,c=1,n=s |
भूत्वा | भू | pos=vi |
चित्रो | चित्र | pos=a,g=m,c=1,n=s |
रजत | रजत | pos=n,comp=y |
बिन्दुभिः | बिन्दु | pos=n,g=m,c=3,n=p |
प्रलोभयित्वा | प्रलोभय् | pos=vi |
वैदेहीम् | वैदेही | pos=n,g=f,c=2,n=s |
यथेष्टम् | यथेष्ट | pos=a,g=n,c=2,n=s |
गन्तुम् | गम् | pos=vi |
अर्हसि | अर्ह् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |