रामायणम् — 3.31.10
Original
Segmented
अयुक्त-चारम् मन्ये त्वाम् प्राकृतैः सचिवैः वृतम् स्व-जनम् च जनस्थानम् हतम् यो न अवबुध्यसे
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अयुक्त | अयुक्त | pos=a,comp=y |
चारम् | चार | pos=n,g=m,c=2,n=s |
मन्ये | मन् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
त्वाम् | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
प्राकृतैः | प्राकृत | pos=a,g=m,c=3,n=p |
सचिवैः | सचिव | pos=n,g=m,c=3,n=p |
वृतम् | वृ | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
स्व | स्व | pos=a,comp=y |
जनम् | जन | pos=n,g=m,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
जनस्थानम् | जनस्थान | pos=n,g=n,c=2,n=s |
हतम् | हन् | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
न | न | pos=i |
अवबुध्यसे | अवबुध् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |