Original

पांसुरूषितसर्वाङ्गः स्रस्तन्यस्तभुजद्वयः ।स्वप्स्यसे गां समाश्लिष्य दुर्लभां प्रमदामिव ॥ ७ ॥

Segmented

पांसु-रूषित-सर्व-अङ्गः स्रस्त-न्यस्त-भुज-द्वयः स्वप्स्यसे गाम् समाश्लिष्य दुर्लभाम् प्रमदाम् इव

Analysis

Word Lemma Parse
पांसु पांसु pos=n,comp=y
रूषित रूषित pos=a,comp=y
सर्व सर्व pos=n,comp=y
अङ्गः अङ्ग pos=n,g=m,c=1,n=s
स्रस्त स्रंस् pos=va,comp=y,f=part
न्यस्त न्यस् pos=va,comp=y,f=part
भुज भुज pos=n,comp=y
द्वयः द्वय pos=n,g=m,c=1,n=s
स्वप्स्यसे स्वप् pos=v,p=2,n=s,l=lrt
गाम् गो pos=n,g=,c=2,n=s
समाश्लिष्य समाश्लिष् pos=vi
दुर्लभाम् दुर्लभ pos=a,g=f,c=2,n=s
प्रमदाम् प्रमदा pos=n,g=f,c=2,n=s
इव इव pos=i