Original

न्यायवृत्तं सुदुर्वृत्ता प्रियमप्रियदर्शना ।शरीरजसमाविष्टा राक्षसी राममब्रवीत् ॥ १० ॥

Segmented

न्याय-वृत्तम् सु दुर्वृत्ता प्रियम् अप्रिय-दर्शना शरीरज-समाविष्टा राक्षसी रामम् अब्रवीत्

Analysis

Word Lemma Parse
न्याय न्याय pos=n,comp=y
वृत्तम् वृत् pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
सु सु pos=i
दुर्वृत्ता दुर्वृत्त pos=a,g=f,c=1,n=s
प्रियम् प्रिय pos=a,g=m,c=2,n=s
अप्रिय अप्रिय pos=a,comp=y
दर्शना दर्शन pos=n,g=f,c=1,n=s
शरीरज शरीरज pos=n,comp=y
समाविष्टा समाविश् pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
राक्षसी राक्षसी pos=n,g=f,c=1,n=s
रामम् राम pos=n,g=m,c=2,n=s
अब्रवीत् ब्रू pos=v,p=3,n=s,l=lan