रामायणम् — 3.10.40
Original
Segmented
तत्र अगस्त्य-आश्रम-पदम् गत्वा योजनम् अन्तरम् रमणीये वन-उद्देशे बहु-पादप-संवृते रंस्यते तत्र वैदेही लक्ष्मणः च त्वया सह
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
तत्र | तत्र | pos=i |
अगस्त्य | अगस्त्य | pos=n,comp=y |
आश्रम | आश्रम | pos=n,comp=y |
पदम् | पद | pos=n,g=m,c=2,n=s |
गत्वा | गम् | pos=vi |
योजनम् | योजन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
अन्तरम् | अन्तर | pos=a,g=n,c=2,n=s |
रमणीये | रमणीय | pos=a,g=m,c=7,n=s |
वन | वन | pos=n,comp=y |
उद्देशे | उद्देश | pos=n,g=m,c=7,n=s |
बहु | बहु | pos=a,comp=y |
पादप | पादप | pos=n,comp=y |
संवृते | संवृ | pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part |
रंस्यते | रम् | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |
तत्र | तत्र | pos=i |
वैदेही | वैदेही | pos=n,g=f,c=1,n=s |
लक्ष्मणः | लक्ष्मण | pos=n,g=m,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
सह | सह | pos=i |