रामायणम् — 3.10.36
Original
Segmented
योजनान्य् आश्रमात् तात याहि चत्वारि वै ततः दक्षिणेन महाञ् श्रीमान् अगस्त्य-भ्रातुः आश्रमः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
योजनान्य् | योजन | pos=n,g=n,c=2,n=p |
आश्रमात् | आश्रम | pos=n,g=m,c=5,n=s |
तात | तात | pos=n,g=m,c=8,n=s |
याहि | या | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
चत्वारि | चतुर् | pos=n,g=n,c=2,n=p |
वै | वै | pos=i |
ततः | ततस् | pos=i |
दक्षिणेन | दक्षिण | pos=a,g=m,c=3,n=s |
महाञ् | महत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
श्रीमान् | श्रीमत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
अगस्त्य | अगस्त्य | pos=n,comp=y |
भ्रातुः | भ्रातृ | pos=n,g=m,c=6,n=s |
आश्रमः | आश्रम | pos=n,g=m,c=1,n=s |