रामायणम् — 2.98.52
Original
Segmented
साधु-अर्थम् अभिसंधाय क्रोधान् मोहाच् च साहसात् तातस्य यद् अतिक्रान्तम् प्रत्याहरतु तद् भवान्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
साधु | साधु | pos=a,comp=y |
अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अभिसंधाय | अभिसंधा | pos=vi |
क्रोधान् | क्रोध | pos=n,g=m,c=5,n=s |
मोहाच् | मोह | pos=n,g=m,c=5,n=s |
च | च | pos=i |
साहसात् | साहस | pos=n,g=n,c=5,n=s |
तातस्य | तात | pos=n,g=m,c=6,n=s |
यद् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
अतिक्रान्तम् | अतिक्रम् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
प्रत्याहरतु | प्रत्याहृ | pos=v,p=3,n=s,l=lot |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
भवान् | भवत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |