Original

त्वं हि त्रिपथगा देवि ब्रह्म लोकं समीक्षसे ।भार्या चोदधिराजस्य लोकेऽस्मिन्संप्रदृश्यसे ॥ ७१ ॥

Segmented

त्वम् हि त्रिपथगा देवि ब्रह्म-लोकम् समीक्षसे भार्या च उदधि-राजस्य लोके ऽस्मिन् सम्प्रदृश्यसे

Analysis

Word Lemma Parse
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
हि हि pos=i
त्रिपथगा त्रिपथगा pos=n,g=f,c=1,n=s
देवि देवी pos=n,g=f,c=8,n=s
ब्रह्म ब्रह्मन् pos=n,comp=y
लोकम् लोक pos=n,g=m,c=2,n=s
समीक्षसे समीक्ष् pos=v,p=2,n=s,l=lat
भार्या भार्या pos=n,g=f,c=1,n=s
pos=i
उदधि उदधि pos=n,comp=y
राजस्य राज pos=n,g=m,c=6,n=s
लोके लोक pos=n,g=m,c=7,n=s
ऽस्मिन् इदम् pos=n,g=m,c=7,n=s
सम्प्रदृश्यसे सम्प्रदृश् pos=v,p=2,n=s,l=lat