Original

विमृज्य बाष्पं परिसान्त्व्य चासकृत्स लक्ष्मणं राघववंशवर्धनः ।उवाच पित्र्ये वचने व्यवस्थितं निबोध मामेष हि सौम्य सत्पथः ॥ ३६ ॥

Segmented

विमृज्य बाष्पम् परिसान्त्व्य च असकृत् स लक्ष्मणम् राघव-वंश-वर्धनः उवाच पित्र्ये वचने व्यवस्थितम् निबोध माम् एष हि सौम्य सत्-पथः

Analysis

Word Lemma Parse
विमृज्य विमृज् pos=vi
बाष्पम् बाष्प pos=n,g=m,c=2,n=s
परिसान्त्व्य परिसान्त्वय् pos=vi
pos=i
असकृत् असकृत् pos=i
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
लक्ष्मणम् लक्ष्मण pos=n,g=m,c=2,n=s
राघव राघव pos=n,comp=y
वंश वंश pos=n,comp=y
वर्धनः वर्धन pos=a,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
पित्र्ये पित्र्य pos=a,g=n,c=7,n=s
वचने वचन pos=n,g=n,c=7,n=s
व्यवस्थितम् व्यवस्था pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
निबोध निबुध् pos=v,p=2,n=s,l=lot
माम् मद् pos=n,g=,c=2,n=s
एष एतद् pos=n,g=m,c=1,n=s
हि हि pos=i
सौम्य सौम्य pos=a,g=m,c=8,n=s
सत् सत् pos=a,comp=y
पथः पथ pos=n,g=m,c=1,n=s