रामायणम् — 2.16.61
Original
Segmented
प्रविश्य वेश्म अति भृशम् मुदा अन्वितम् समीक्ष्य ताम् च अर्थ-विपत्तिम् आगताम् न च एव रामो ऽत्र जगाम विक्रियाम् सुहृद्-जनस्य आत्म-विपत्ति-शङ्कया
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्रविश्य | प्रविश् | pos=vi |
वेश्म | वेश्मन् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
अति | अति | pos=i |
भृशम् | भृशम् | pos=i |
मुदा | मुद् | pos=n,g=f,c=3,n=s |
अन्वितम् | अन्वित | pos=a,g=n,c=2,n=s |
समीक्ष्य | समीक्ष् | pos=vi |
ताम् | तद् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
अर्थ | अर्थ | pos=n,comp=y |
विपत्तिम् | विपत्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
आगताम् | आगम् | pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part |
न | न | pos=i |
च | च | pos=i |
एव | एव | pos=i |
रामो | राम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽत्र | अत्र | pos=i |
जगाम | गम् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
विक्रियाम् | विक्रिया | pos=n,g=f,c=2,n=s |
सुहृद् | सुहृद् | pos=n,comp=y |
जनस्य | जन | pos=n,g=m,c=6,n=s |
आत्म | आत्मन् | pos=n,comp=y |
विपत्ति | विपत्ति | pos=n,comp=y |
शङ्कया | शङ्का | pos=n,g=f,c=3,n=s |