Original

यदा वक्तुं स्वयं दैन्यान्न शशाक महीपतिः ।तदा सुमन्त्रं मन्त्रज्ञा कैकेयी प्रत्युवाच ह ॥ २० ॥

Segmented

यदा वक्तुम् स्वयम् दैन्यान् न शशाक महीपतिः तदा सुमन्त्रम् मन्त्र-ज्ञा कैकेयी प्रत्युवाच ह

Analysis

Word Lemma Parse
यदा यदा pos=i
वक्तुम् वच् pos=vi
स्वयम् स्वयम् pos=i
दैन्यान् दैन्य pos=n,g=n,c=5,n=s
pos=i
शशाक शक् pos=v,p=3,n=s,l=lit
महीपतिः महीपति pos=n,g=m,c=1,n=s
तदा तदा pos=i
सुमन्त्रम् सुमन्त्र pos=n,g=m,c=2,n=s
मन्त्र मन्त्र pos=n,comp=y
ज्ञा ज्ञ pos=a,g=f,c=1,n=s
कैकेयी कैकेयी pos=n,g=f,c=1,n=s
प्रत्युवाच प्रतिवच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
pos=i